Bible 2 India Mobile
[VER] : [HINDI]     [PL]  [PB] 
 <<  Job 22 >> 

1तब तेमानी एलीपज ने कहा,

2“क्‍या पुरुष से परमेश्वर को लाभ पहुँच सकता है? जो बुद्धिमान है, वह अपने ही लाभ का कारण होता है।

3क्‍या तेरे धर्मी होने से सर्वशक्तिमान सुख पा सकता है? तेरी चाल की खराई से क्‍या उसे कुछ लाभ हो सकता है?

4वह तो तुझे डाँटता है, और तुझ से मुकद्दमा लड़ता है, तो क्‍या इस दशा में तेरी भक्ति हो सकती है?

5क्‍या तेरी बुराई बहुत नहीं? तेरे अधर्म के कामों का कुछ अन्‍त नहीं।

6तू ने तो अपने भाई का बन्‍धक अकारण रख लिया है, और नंगे के वस्‍त्र उतार लिये हैं।

7थके हुए को तू ने पानी न पिलाया, और भूखे को रोटी देने से इनकार किया।

8जो बलवान था उसी को भूमि मिली, और जिस पुरुष की प्रतिष्‍ठा हुई थी, वही उसमें बस गया।

9तू ने विधवाओं को छूछे हाथ लौटा दिया। और अनाथों की बाहें तोड़ डाली गई।

10इस कारण तेरे चारों ओर फन्‍दे लगे हैं, और अचानक डर के मारे तू घबरा रहा है।

11क्‍या तू अन्‍धियारे को नहीं देखता, और उस बाढ़ को जिसमें तू डूब रहा है?

12“क्‍या परमेश्वर स्‍वर्ग के ऊँचे स्‍थान में नहीं है? ऊँचे से ऊँचे तारों को देख कि वे कितने ऊँचे हैं।

13फिर तू कहता है, ‘परमेश्वर क्‍या जानता है? क्‍या वह घोर अन्‍धकार की आड़ में होकर न्‍याय करेगा?

14काली घटाओं से वह ऐसा छिपा रहता है कि वह कुछ नहीं देख सकता, वह तो आकाशमण्डल ही के ऊपर चलता फिरता है।’

15क्‍या तू उस पुराने रास्‍ते को पकड़े रहेगा, जिस पर वे अनर्थ करनेवाले चलते हैं?

16वे अपने समय से पहले उठा लिए गए और उनके घर की नेव नदी बहा ले गई।

17उन्होंने परमेश्वर से कहा था, ‘हम से दूर हो जा;’ और यह कि ‘सर्वशक्तिमान हमारा** क्‍या कर सकता है?’

18तौभी उसने उनके घर अच्‍छे-अच्‍छे पदार्थों से भर दिए-- परन्‍तु दुष्‍ट लोगों का विचार मुझ से दूर रहे।

19धर्मी लोग देखकर आनन्‍दित होते हैं; और निर्दोष लोग उनकी हंसी करते हैं, कि

20‘जो हमारे विरुद्ध उठे थे, निःसन्‍देह मिट गए और उनका बड़ा धन आग का कौर हो गया है।’

21“उससे मेलमिलाप कर तब तुझे शान्‍ति मिलेगी; और इस से तेरी भलाई होगी।

22उसके मुँह से शिक्षा सुन ले, और उसके वचन अपने मन में रख।

23यदि तू सर्वशक्तिमान की ओर फिरके समीप जाए, और अपने डेरे से कुटिल काम दूर करे, तो तू बन जाएगा।

24तू अपनी अनमोल वस्‍तुओं को धूलि पर, वरन् ओपीर का कुन्‍दन भी नालों के पत्‍थरों में डाल दे,

25तब सर्वशक्तिमान आप तेरी अनमोल वस्‍तु और तेरे लिये चमकीली चान्‍दी होगा।

26तब तू सर्वशक्तिमान से सुख पाएगा, और परमेश्वर की ओर अपना मुँह बेखटके उठा सकेगा।

27और तू उससे प्रार्थना करेगा, और वह तेरी सुनेगा; और तू अपनी मन्नतों को पूरी करेगा।

28जो बात तू ठाने वह तुझ से बन भी पड़ेगी, और तेरे मार्गों पर प्रकाश रहेगा।

29चाहे दुर्भाग्‍य हो तौभी तू कहेगा कि सुभाग्‍य होगा, क्‍योंकि वह नम्र मनुष्‍य को बचाता है।(मत्ती. 23:12, 1 पत. 5:6)

30वरन् जो निर्दोष न हो उसको भी वह बचाता है; तेरे शुद्ध कामों के कारण तू छुड़ाया जाएगा।”


  Share Facebook  |  Share Twitter

 <<  Job 22 >> 


Bible2india.com
© 2010-2024
Help
Dual Panel

Laporan Masalah/Saran