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1और जिस समय यहोवा ने दाऊद को उसके सब शत्रुओं और शाऊल के हाथ से बचाया था, तब उसने यहोवा के लिये इस गीत के वचन गाए:

2उसने कहा, “यहोवा मेरी चट्टान, और मेरा गढ़, मेरा छुड़ानेवाला,

3मेरा चट्टानरूपी परमेश्‍वर है, जिसका मैं शरणागत हूँ, मेरी ढाल, मेरा बचानेवाला सींग, मेरा ऊँचा गढ़, और मेरा शरणस्‍थान है, हे मेरे उद्धारकर्ता, तू उपद्रव से मेरा उद्धार किया करता है।(इब्रानियों 2:13)

4मैं यहोवा को जो स्‍तुति के योग्‍य है पुकारूँगा, और मैं अपने शत्रुओं से बचाया जाऊँगा।

5“मृत्‍यु के तरंगों ने तो मेरे चारों ओर घेरा डाला, नास्‍तिकपन की धाराओं ने मुझ को घबड़ा दिया था;

6अधोलोक की रस्‍सियाँ मेरे चारों ओर थीं, मृत्‍यु के फन्‍दे मेरे सामने थे।(प्रेरितों 2:24)

7अपने संकट में मैं ने यहोवा को पुकारा; और अपने परमेश्‍वर के सम्‍मुख चिल्‍लाया। औंर उसने मेरी बात को अपने मन्‍दिर में से सुन लिया, और मेरी दोहाई उसके कानों में पहुँची।

8“तब पृथ्‍वी हिल गई और डोल उठी; और आकाश की नेवें काँपकर बहुत ही हिल गई, क्‍योंकि वह अति क्रोधित हुआ था।

9उसके नथनों से धुआँ निकला, और उसके मुँह से आग निकलकर भस्‍म करने लगी; जिस से कोयले दहक उठे।(प्रकाशन 11:5)

10और वह स्‍वर्ग को झुकाकर नीचे उतर आया; और उसके पाँवों के तले घोर अंधकार छाया था।

11और वह करूब पर सवार होकर उड़ा, और पवन के पंखों पर चढ़कर दिखाई दिया।

12और उसने अपने चारों ओर के अंधियारे को, मेघों** के समूह, और आकाश की काली घटाओं को अपना मण्डप बनाया।

13उसके सम्‍मुख की झलक तो उसके आगे आगे थी, आग के कोयले दहक उठे।

14यहोवा आकाश में से गरजा, और परमप्रधान ने अपनी वाणी सुनाई।

15उसने तीर चला चलाकर मेरे शत्रुओं को तितर बितर कर दिया, और बिजली गिरा गिराकर उसको परास्‍त कर दिया।

16तब समुद्र की थाह दिखाई देने लगी, और जगत की नेवें खुल गई, यह तो यहोवा की डाँट से, और उसके नथनों की सांस की झोंक से हुआ।

17“उसने ऊपर से हाथ बढ़ाकर मुझे धाम लिया, और मुझे गहरे जल में से खींचकर बाहर निकाला।

18उसने मुझे मेरे बलवन्‍त शत्रु से, और मेरे बैरियों से, जो मुझ से अधिक सामर्थी थे, मुझे छुड़ा लिया।

19उन्होंने मेरी विपत्‍ति के दिन मेरा साम्‍हना तो किया; परन्‍तु यहोवा मेरा आश्रय था।

20और उसने मुझे निकालकर चौड़़े स्‍थान में पहुँचाया; उसने मुझ को छुड़ाया, क्‍योंकि वह मुझ से प्रसन्न था।

21“यहोवा ने मुझ से मेरे धर्म के अनुसार व्‍यवहार किया; मेरे कामों की शुद्धता के अनुसार उसने मुझे बदला दिया।

22क्‍योंकि मैं यहोवा के मार्गों पर चलता रहा, और अपने परमेश्‍वर से मुँह मोड़कर दुष्‍ट न बना।

23उसके सब नियम तो मेरे सामने बने रहे, और मैं उसकी विधियों से हट न गया।

24और मैं उसके साथ खरा बना रहा, और अधर्म से अपने को बचाए रहा, जिसमें मेरे फँसने का डर था।**

25इसलिये यहोवा ने मुझे मेरे धर्म के अनुसार बदला दिया, मेरी उस शुद्धता के अनुसार जिसे वह देखता था।

26“दयावन्‍त के साथ तू अपने को दयावन्‍त दिखाता; खरे पुरुष के साथ तू अपने को खरा दिखाता है;

27शुद्ध के साथ तू अपने को शुद्ध दिखाता; और टेढ़े के साथ तू तिरछा बनता है।

28और दीन लोगों को तो तू बचाता है, परन्‍तु अभिमानियों पर दृष्‍टि करके उन्‍हें नीचा करता है।(लूका 1:51)

29हे यहोवा, तू ही मेरा दीपक है, और यहोवा मेरे अन्‍धियारे को दूर करके उजियाला कर देता है।

30तेरी सहायता से मैं दल पर धावा करता, अपने परमेश्‍वर की सहायता से मैं शहरपनाह को फाँद जाता हूँ।

31ईश्‍वर की गति खरी है; यहोवा का वचन ताया हुआ है; वह अपने सब शरणागतों की ढाल है।

32“यहोवा को छोड़ क्‍या कोई ईश्‍वर है? हमारे परमेश्‍वर को छोड़ क्‍या और कोई चट्टान है?

33यह वही ईश्‍वर है, जो मेरा अति दृढ़ कि़ला है, वह खरे मनुष्‍य को अपने मार्ग में लिए चलता है।

34वह मेरे पैरों को हरिणियों के से बना देता है, और मुझे ऊँचे स्‍थानों** पर खड़ा करता है।

35वह मेरे हाथों को युद्ध करना सिखाता है, यहाँ तक कि मेरी बांहे पीतल के धनुष को झुका देती हैं।

36और तू ने मुझ को अपने उद्धार की ढाल दी है, और तेरी नम्रता मुझे बढ़ाती है।

37तू मेरे पै़रों के लिये स्‍थान चौड़ा करता है, और मेरे पैर नहीं फिसले।

38मैं ने अपने शत्रुओं का पीछा करके उन्‍हें सत्‍यानाश कर दिया, और जब तक उनका अन्‍त न किया तब तक न लौटा।

39और मैं ने उनका अन्‍त किया; और उन्‍हें ऐसा छेद डाला है कि वे उठ नहीं सकते; वरन वे तो मेरे पाँवों के नीचे गिरे पड़े हैं।

40और तू ने युद्ध के लिये मेरी कमर बलवन्‍त की; और मेरे विरोधियों को मेरे ही सामने परास्‍त कर दिया।

41और तू ने मेरे शत्रुओं की पीठ मुझे दिखाई, ताकि मैं अपने बैरियों को काट डालूँ।

42उन्होंने बाट तो जोही, परन्‍तु कोई बचानेवाला न मिला; उन्होंने यहोवा की भी बाट जोही, परन्‍तु उसने उनको कोई उत्‍तर न दिया।

43तब मैं ने उनको कूट कूटकर भूमि की धूलि के समान कर दिया, मैं ने उन्‍हें सड़कों और गली कूचों की कीचड़ के समान पटककर चारों ओर फैला दिया।

44“फिर तू ने मुझे प्रजा के झगड़ों से छुड़ाकर अन्‍य जातियों का प्रधान होने के लिये मेरी रक्षा की; जिन लोगों को मैं न जानता था वे भी मेरे अधीन हो जाएँगे।

45परदेशी मेरी चापलूसी करेंगे; वे मेरा नाम सुनते ही मेरे वश में आएँगे।

46परदेशी मुर्झाएँगे, और अपने किलों में से थरथराते हुए निकलेंगे।

47“यहोवा जीवित है; मेरी चट्टान धन्‍य है, और परमेश्‍वर जो मेरे उद्धार की चट्टान है, उसकी महिमा हो।

48धन्‍य है मेरा पलटा लेनेवाला ईश्‍वर, जो देश देश के लोगों को मेरे वश में कर देता है,

49और मुझे मेरे शत्रुओं के बीच से निकालता है; हाँ, तू मुझे मेरे विरोधियों से ऊँचा करता है, और उपद्रवी पुरुष से बचाता है।

50“इस कारण, हे यहोवा, मैं जाति जाति के सामने तेरा धन्‍यवाद करूँगा, और तेरे नाम का भजन गाऊँगा(रोमियो 15:9)

51वह अपने ठहराए हुए राजा का बड़ा उद्धार करता है, वह अपने अभिषिक्‍त दाऊद, और उसके वंश पर युगानुयुग करुणा करता रहेगा।”


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