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1ऐ भाइयों ! अगर कोई आदमी किसी क़ुसूर में पकड़ा भी जाए तो तुम जो रूहानी हो, उसको नरम मिज़ाजी*से बहाल करो, और अपना भी ख्याल रख क़हीं तू भी आज़माइश में न पड़ जाए|

2तुम एक दूसरे का बोझ उठाओ, और यूँ मसीह की शरी' अत को पूरा करो|

3क्यूँकि अगर कोई शख्स अपने आप को कुछ समझे और कुछ भी न हो, तो अपने आप को धोखा देता है |

4पस हर शख्स अपने ही काम को आज़माले,इस सूरत में उसे अपने ही बारे में फ़ख्र करने का मौक़ा'होगा न कि दूसरे के बारे में |

5क्यूँकि हर शख़्स अपना ही बोझ उठाएगा|

6कलाम की ता'लीम पानेवाला, ता'लीम देनेवाले को सब अच्छी चीज़ों में शरीक करे|

7धोखा न खाओ; ख़ुदा ठटठों में नहीं उड़ाया जाता,क्यूँकि आदमी जो कुछ बोता है वही काटेगा|

8जो कोई अपने जिस्म के लिए बोता है,वो जिस्म से हलाकत की फ़स्ल काटेगा; और जो रूह के लिए बोता है,वो रूह से हमेशा की ज़िंदिगी की फ़सल काटेगा|

9हम नेक काम करने में हिममत न हारें, क्यूँकि अगर बेदिल न होंगे तो 'सही वक़्त पर काटेंगे|

10पस जहाँ तक मौक़ा मिले सबके साथ नेकी करें खासकर अहले ईमान के साथ|

11देखो,मैंने कैसे बड़े बड़े हरफों में तुम को अपने हाथ से लिखा है|

12जितने लोग जिस्मानी ज़ाहिर होना चाहते हैं वो तुम्हे ख़तना कराने पर मजबूर करते हैं,सिर्फ इसलिए कि मसीह की सलीब के वजह से सताए न जायें|

13क्यूँकि ख़तना कराने वाले ख़ुद भी शरी'अत पर अमल नहीं करते, मगर तुम्हारा ख़तना इस लिए कराना चाहते हैं, कि तुम्हारी जिस्मानी हालत पर फ़ख्र करें|

14लेकिन ख़ुदा न करे कि मैं किसी चीज पर फ़ख्र ,करूं सिवा अपने खुदावन्द मसीह ईसा' की सलीब के, जिससे दुनिया मेरे ए'तिबार से|

15क्यूँकि न ख़तना कुछ चीज़ है न नामख्तूनी, बल्कि नए सिरे से मख़लूक़ होना|

16और जितने इस कायदे पर चलें उन्हें,और ख़ुदा के इस्राइल को इत्मिनान और रहम हासिल होता रहे|

17आगे को कोई मुझे तकलीफ़ न दे, क्यूँकि मैं अपने जिस्म पर मसीह के दाग लिए फिरता हूँ|

18ऐ भाइयों ! हमारे ख़ुदावन्द ईसा' मसीह का फ़ज़ल तुम्हारी रूह के साथ रहे|अमीन



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