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1और योआब को बताया गया कि देख बादशाह अबी सलोम के लिए नौहा और मातम कर रहा है |

2सो तमाम लोगों के लिए उस दिन की फ़तह मातम से बदल गई क्यूँकि लोगों ने उस दिन यह कहते सुना कि बादशाह अपने बेटे के लिए दिलगीर है |

3सो वह लोग उस दिन चोरी से शहर में घुसे जैसे वह लोग जो लड़ाई से भागते हैं शर्म के मारे चोरी चोरी चलते हैं |

4और बादशाह ने अपना मुँह ढांक लिया और बादशाह बुलन्द आवाज़ से चिल्लाने लगा कि हाय मेरे बेटे अबी सलोम ! हाय अबी सलोम मेरे बेटे ! मेरे बेटे |

5तब योआब घर में बादशाह के पास जाकर कहने लगा कि तूने आज अपने सब ख़ादिमों को शर्मसार किया जिन्होंने आज के दिन तेरी जान और तेरे बेटों और तेरी बेटियों की जानें और तेरी बीवियों की जानें और तेरी हरमों की जानें बचायीं |

6क्यूँकि तू अपने 'अदावत रखने वालों को प्यार करता है और अपने दोस्तों से 'अदावत रखता है इस लिए कि तूने आज के दिन ज़ाहिर कर दिया कि सरदार और ख़ादिम तेरे नज़दीक बे क़द्र हैं क्यूँकि आज के दिन मैं देखता हूँ कि अगर अबी सलोम जीता रहता और हम सब मर जाते तो तू बहुत ख़ुश होता |

7सो उठ बाहर निकल और अपने ख़ादिमों से तसल्ली बख़्श बातें कर क्यूँकि मैं ख़ुदावन्द की क़सम खाता हूँ कि अगर तू बाहर न जाए तो आज रात को एक आदमी भी तेरे साथ न रहेगा और यह तेरे लिए उन सब आफतों से बदतर होगा जो तेरी नौजवानी से लेकर अब तक तुझ पर आई है |

8सो बादशाह उठकर फाटक में जा बैठा और सब लोगों को बताया गया कि देखो बादशाह फाटक में बैठा है ,तब सब लोग बादशाह के सामने आए और इस्राईली अपने अपने डेरे को भाग गये थे |

9और इस्राईल के क़बीलों के सब लोगों में झगड़ा था और वह कहते थे कि बादशाह ने हमारे दुश्मनों के हाथ से और फ़िलिस्तियों के हाथ से बचाया और अब वह अबी सलोम के सामने से मुल्क छोड़ कर भाग गया |

10और अबी सलोम जिसे हमने मसह करके अपना हाकिम बनाया था लड़ाई में मर गया है सो तुम अब बादशाह को वापस लाने की बात क्यों नहीं करते ?

11तब दाऊद बादशाह ने सदूक़ और अबियातर काहिनों को कहला भेजा कि यहूदाह के बुज़ुर्गों से कहो कि तुम बादशाह को उसके महल में पहुँचाने के लिए सबसे पीछे क्यों होते हो जिस हाल कि सारे इस्राईल की बात उसे उसके महल में पहुँचाने के बारह में बादशाह तक पहुँची है |

12तुम तो मेरे भाई और मेरी हड्डी हो फिर तुम बादशाह को वापस ले जाने के लिए सबसे पीछे क्यों हो ?|

13और 'अमासा से कहना क्या तू मेरी हड्डी और गोश्त नहीं ? सो अगर तू योआब की जगह मेरे हुज़ूर हमेशा के लिए लश्कर का सरदार न हो तो ख़ुदा मुझसे ऐसा ही बल्कि इससे भी ज़्यादा करे |

14और उसने सब बनी यहूदाह का दिल एक आदमी के दिल की तरह माएल कर लिया चुनाँचे उन्होंने बादशाह को पैग़ाम भेजा कि तू अपने सब ख़ादिमों को साथ लेकर लौट आ |

15सो बादशाह लौट कर यर्दन पर आया और सब बनी यहूदाह जिल्जाल को गये कि बादशाह का इस्तक़बाल करें और उसे यर्दन के पार ले आयें |

16और जीरा के बेटे बिन्यमीनी सिम'ई ने जो बहूरीम का था जल्दी की और बनी यहूदाह के साथ दाऊद बादशाह के इस्तक़बाल को आया |

17और उसके साथ एक हज़ार बिन्यमीनी जवान थे और साऊल के घराने का ख़ादिम ज़ीबा अपने पन्दरह बेटों और बीस नौकरों समेत आया और बादशाह के सामने यर्दन के पार उतरे |

18और एक कश्ती पार गई कि बादशाह के घराने को ले आये और जो काम उसे मुनासिब मा'लूम हो उसे करे और जीरा का बेटा सिम'ई बादशाह के सामने जैसे ही वह यर्दन पार हुआ औंधा हो कर गिरा |

19और बादशाह से कहने लगा कि मेरा मालिक मेरी तरफ़ गुनाह मंसूब न करे और जिस दिन मेरा मालिक बादशाह यरुशलीम से निकला उस दिन जो कुछ तेरे ख़ादिम ने बद मिज़ाजी से किया उसे ऐसा याद न रख कि बादशाह उसको अपने दिल में रख्खे |

20क्यूँकि तेरा बन्दा यह जानता है कि मैंने गुनाह किया है और देख आज के दिन मैं ही यूसुफ़ के घराने में से पहले आया हूँ कि अपने मालिक बादशाह का इस्तक़बाल करूँ |

21और ज़रोयाह के बेटे अबीशे ने जवाब, दिया क्या सिम'ई इस सबब से मारा न जाए कि उसने ख़ुदावन्द के ममसूह पर ला'नत की ?

22दाऊद ने कहा, ऐ ज़रोयाह के बेटो !मुझे तुमसे क्या काम कि तुम आज के दिन मेरे मुखालिफ़ हुए हो? क्या इस्राईल में से कोई आदमी आज के दिन क़त्ल किया जाए? क्या मैं यह नहीं जानता कि कि मैं आज के दिन इस्राईल का बादशाह हूँ ?

23और बादशाह ने सिम'ई से कहा ,तू मारा नहीं जाएगा और बादशाह ने उससे क़सम खाई |

24फिर साऊल का बेटा मिफ़ीबोसत बादशाह के इस्तक़बाल को आया ,उसने बादशाह के चले जाने के दिन से लेकर उसे सलामत घर आजाने के दिन तक न तो अपने पाँव पर पट्टियाँ बाँधी और न अपनी दाढ़ी कतरवाई और न अपने कपड़े धुलवाए थे |

25और ऐसा हुआ कि जब वह यरोशलीम में बादशाह से मिलने आया तो बादशाह ने उससे कहा ,ऐ मिफ़ीबोसत तू मेरे साथ क्यों नहीं गया था ?

26उसने जवाब दिया ,ऐ मेरे मालिक बादशाह मेरे नौकर ने मुझसे दग़ा की क्यूँकि तेरे ख़ादिम ने कहा था कि मैं अपने लिए गधे पर जीन कसूँगा ताकि मैं सवार हो कर बादशाह के साथ जाऊँ इसलिए कि तेरा ख़ादिम लंगड़ा है |

27सो उसने मेरे मालिक बादशाह के हुज़ूर तेरे ख़ादिम पर बोहतान लगाया पर मेरा मालिक बादशाह तू ख़ुदावन्द के फ़रिश्ता की मानिन्द है ,सो जो कुछ तुझे अच्छा मा'लूम हो सो कर |

28क्यूँकि मेरे बाप का सारा घराना मेरे मालिक बादशाह के आगे मुर्दों के मानिन्द था तो भी तूने उन्हें ख़ादिम को उन लोगों के बीच बिठाया जो तेरे दस्तर ख्वान पर खाते थे पस क्या अब भी मेरा कोई हक़ है कि मैं बादशाह के आगे फिर फ़रयाद करूँ?|

29बादशाह ने उनसे कहा ,तू अपनी बातें क्यों बयान करता जाता है? मैं कहता हूँ कि तू और ज़ीबा दोनों उस ज़मीन को आपस में बाँट लो |

30और मिफ़ीबोसत ने बादशाह से कहा ,वही सब लेले इसलिए कि मेरा मालिक बादशाह अपने घर में फिर सलामत आगया है |

31और बरज़िली जिल'आदी रजिलीम से आया और बादशाह के साथ यर्दन पार गया ताकि उसे यर्दन के पार पहुँचाये |

32और यह बरज़िली निहायत 'उम्र रसीदः आदमी या'नी अस्सी बरस का था ,उसने बादशाह को जब तक वह मेहनायम में रहा रसद पहुँचाई थी इसलिए कि वह बहुत बड़ा आदमी था |

33सो बादशाह ने बरज़िली से कहा कि तू मेरे साथ चल और मैं यरुशलीम में अपने साथ तेरी परवरिश करूँगा |

34और बरज़िली ने बादशाह को जवाब दिया कि मेरी ज़िन्दगी के दिन ही कितने हैं जो मैं बादशाह के साथ यरुशलीम को जाऊँ?

35आज मैं अस्सी बरस का हूँ ,क्या मैं भले और बुरे में इम्तियाज़ कर सकता हूँ?क्या तेरा बन्दा जो कुछ खाता पीता है उसका मज़ा जान सकता है?क्या मैं गाने वालों और गाने वालियों की फिर आवाज़ सुन सकता हूँ?पस तेरा बन्दा अपने बादशाह पर क्यों बार हो?

36तेरा बन्दा फ़क़त यर्दन के पार तक बादशाह के साथ जाना चाहता है ,सो बादशाह मुझे ऐसा बड़ा अज्र क्यूँ दे?

37अपने बन्दा को लौट जाने दे ताकि मैं अपने शहर में अपने बाप और माँ की क़ब्र के पास मरूँ पर देख तेरा बन्दा किम्हाम हाज़िर है ,वह मेरे मालिक बादशाह के साथ पार जाए और जो कुछ तुझे भला मा'लूम दे उससे कर |

38तब बादशाह ने कहा ,किम्हाम मेरे साथ पार चलेगा और जो कुछ तुझे भला मा'लूम हो वही मैं उसके साथ करूँगा और जो कुछ तू चाहेगा मैं तेरे लिए वही करूँगा |

39और सब लोग यर्दन के पार हो गये और बादशाह भी पार हुआ ,फिर बादशाह ने बरज़िली को चूमा और उसे दु'आ दी और वह अपनी जगह को लौट गया |

40सो बादशाह जिलजाल को रवाना हुआ और किम्हाम उसके साथ चला और यहूदाह के सब लोग और इस्राईल के लोगों में से भी आधे बादशाह को पार लाये |

41तब इस्राईल के सब लोग बादशाह के पास आकर उससे कहने लगे कि हमारे भाई बनी यहूदाह तुझे क्यूँ चोरी से ले आए और बादशाह को और उसके घराने को और दाऊद के साथ जितने थे उनको यर्दन के पार से लाये?

42तब सब बनी यहूदाह ने बनी इस्राईल को जवाब दिया ,इस लिए कि बादशाह का हमारे साथ नज़दीक का रिश्ता है ,सो तुम इस बात के सबब से नाराज़ क्यों हुए?क्या हमने बादशाह के दाम का कुछ खा लिया है या उसने हमको कुछ इन'आम दिया है?

43फिर बनी इस्राईल ने बनी यहूदाह को जवाब दिया कि बादशाह में हमारे दस हिस्से हैं और हमारा हक़ भी दाऊद पर तुम से ज़्यादा है पस तुमने क्यों हमारी हक़ारत की, कि बादशाह को लौटा लाने में पहले हमसे सलाह नहीं ली ? और बनी यहूदाह की बातें बनी इस्राईल की बातों से ज़्यादा सख्त़ थीं |



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