1और ज़रोयाह के बेटे योआब ने ताड़ लिया कि बादशाह का दिल अबी सलोम की तरफ़ लगा है |
2सो योआब ने तक़ू'अ को आदमी भेज कर वहाँ से एक दानिश मन्द 'औरत बुलवाई और उससे कहा कि ज़रा सोग वाली सा भेस करके मातम के कपड़े पहन ले और तेल न लगा बल्कि ऐसी 'औरत की तरह बन जा जो बड़ी मुददत से मुर्दा के लिए मातम कर रही हो |
3और बादशाह के पास जाकर उससे इस तरह कहना| फिर योआब ने जो बातें कहनी थीं सिखायीं |
4और जब तक़ू'अ की वह 'औरत बादशाह से बातें करने लगी तो ज़मीन पर औंधे मुँह होकर गिरी और सज्दा करके कहा, ऐ बादशाह तेरी दुहाई है !|
5बादशाह ने उससे कहा, तुझे क्या हुआ? उसने कहा, मैं सच मुच एक बेवा हूँ और मेरा शौहर मर गया है |
6तेरी लौंडी के दो बेटे थे ,वह दोनों मैदान पर आपस में मार पीट करने लगे, और कोई न था जो उनको छुड़ा देता, सो एकने दूसरे को ऐसी ज़र्ब लगाई कि उसे मार डाला |
7और अब देख कि सब कुम्बे का कुम्बा तेरी लौंडी के ख़िलाफ़ उठ खड़ा हुआ है, और वह कहते हैं, कि उसको जिसने अपने भाई को मारा हमारे हवाले कर ताकि हम उसको उसके भाई की जान के बदले, जिसे उसने मार डाला क़त्ल करें, और यूँ वारिस को भी हलाक कर दें, इस तरह वह मेरे अंगारे को जो बाक़ी रहा है बुझा देंगे, और मेरे शौहर का न तो नाम न बक़िया रू-ए-ज़मीन पर छोड़ेंगे |
8बादशाह ने उस 'औरत से कहा ,तू अपने घर जा और मैं तेरी बाबत हुक्म करूँगा|
9तक़ू'अ की उस औरत ने बादशाह से कहा ,ऐ मेरे मालिक !ऐ बादशाह !सारा गुनाह मुझ पर और मेरे बाप के घराने पर हुआ और बादशाह और उसका तख़्त बे गुनाह रहे |
10तब बादशाह ने फ़रमाया ,जो कोई तुझसे कुछ कहे उसे मेरे पास ले आना और फिर वह तुझको छूने नहीं पायेगा |
11तब उसने कहा कि,मैं अर्ज़ करती हूँ कि बादशाह ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा को याद करे कि ख़ून का इन्तिक़ाम लेने वाला और हलाक न करने पाए, ता न हो कि वह मेरे बेटे को हलाक कर दें उसने जवाब दिया ,ख़ुदावन्द की हयात की क़सम तेरे बेटे का एक बाल भी ज़मीन पर नहीं गिरने पायेगा|
12तब उस 'औरत ने कहा ,ज़रा मेरे मालिक बादशाह से तेरी लौंडी एक बात कहे ?
13उसने जवाब दिया ,कह तब उस 'औरत ने कहा कि ,तूने ख़ुदा के लोगों के ख़िलाफ़ ऐसी तदबीर क्यों निकाली है?क्यूँकि बादशाह इस बात के कहने से मुजरिम सा ठहरता है, इसलिए कि बादशाह अपने जिला वतन को फिर घर लौटा कर नहीं आता |
14क्यूँकि हम सबको मरना है, और हम ज़मीन पर गिरे हुए पानी की तरह हो जाते हैं जो फिर जमा' नहीं हो सकता और ख़ुदा किसी की जान नहीं लेता बल्कि ऐसे वसाएल निकालता है, कि जिला वतन उसके यहाँ से निकाला हुआ न रहे |
15और मैं जो अपने मालिक से यह बात कहने आई हूँ, तो इसका सबब यह है कि लोगों ने मुझे डरा दिया था , सो तेरी लौंडी ने कहा कि मैं आप बादशाह से अर्ज़ करूँगी ,शायद बादशाह अपनी लौंडी की अर्ज़ पूरी करे |
16क्यूँकि बादशाह सुनकर ज़रूर अपनी लौंडी को उस शख्स़ के हाथ से छुड़ाएगा, जो मुझे और मेरे बेटे दोनों को ख़ुदा की मीरास मेंसे नीस्त कर डालना चाहता है |
17सो तेरी लौंडी ने कहा कि मेरे मालिक बादशाह की बात तसल्ली बख्श हो, क्यूँकि मेरा मालिक बादशाह नेकी और बदी के इम्तियाज़ करने में ख़ुदा के फ़रिश्ता के मानिन्द है ,सो ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा तेरे साथ हो|
18तब बादशाह ने उस 'औरत से कहा,मैं तुझसे जो कुछ पूछूँ तो उसको ज़रा भी मुझसे मत छिपाना| उस 'औरत ने कहा ,मेरा मालिक बादशाह फ़रमाए|
19बादशाह ने कहा ,क्या इस सारे मु'आमले में योआब का हाथ तेरे साथ है ? उस 'औरत ने जवाब दिया ,तेरी जान की क़सम ऐ मेरे मालिक बादशाह कोई इन बातों से जो मेरे मालिक बादशाह ने फ़रमाई हैं दहनी याँ बायीं तरफ़ नहीं मुड़ सकता क्यूंकि तेरे ख़ादिम योआब ही ने मुझे हुक्म दिया और उसी ने यह सब बातें तेरी लौंडी को सिखायीं |
20और तेरे ख़ादिम योआब ने यह काम इस लिए किया ताकि उस मज़मून के रंग ही को पलट दे और मेरा मालिक दानिश मन्द है, जिस तरह ख़ुदा के फ़रिश्ता में समझ होती है कि दुनिया की सब बातों को जान ले|
21तब बादशाह ने योआब से कहा ,देख,मैंने यह बात मान ली सो तू जा और उस जवान अबी सलोम को फिर ले आ|
22तब यूआब ज़मीन पर औंधे होकर गिरा और सज्दा किया और बादशाह को मुबारक बाद दी और योआब कहने लगा ,आज तेरे बन्दा को यक़ीन हुआ ऐ मेरे मालिक बादशाह मुझ पर तेरे करम की नज़र है इस लिए कि बादशाह ने अपने ख़ादिम की अर्ज़ पूरी की|
23फिर योआब उठा, और जसूर को गया और अबी सलोम को यरुशलीम में ले आया |
24तब बादशाह ने फ़रमाया ,वह अपने घर जाए और मेरा मुँह न देखे| सो अबी सलोम अपने घर गया और वह बादशाह का मुँह देखने न पाया |
25और सारे इस्राईल में कोई शख़्स अबी सलोम की तरह उसके हुस्न के सबब से ता'रीफ़ के क़ाबिल न था क्यूँकि उसके पाँव के तलवे से सर के चाँद तक उसमें कोई ऐब न था |
26जब वह अपना सिर मुंडवाता था क्यूँकि हर साल के आख़िर में वह उसे मुंडवाता था इस लिए कि उसके बाल घने थे, सो वह उनको मुंडवाता था तो अपने सिर के बाल वज़न में शाही तौल के मुताबिक़ दो सौ मिस्क़ाल के बराबर पाता था |
27और अबी सलोम से तीन बेटे पैदा हुए और एक बेटी जिसका नाम तमर था वह बहुत ख़ूबसूरत 'औरत थी |
28और अबी सलोम पूरे दो बरस यरुशलीम में रहा और बादशाह का मुँह न देखा |
29सो अबी सलोम ने योआब को बुलवाया ताकि उसे बादशाह के पास भेजे पर उसने उसके पास आने से इन्कार किया, और उसने दोबारह बुलवाया लेकिन वह न आया |
30इस लिए उसने अपने मुलाज़िमों से कहा ,देखो योआब का खेत मेरे खेत से लगा है और उसमें जौ हैं सो जाकर उसमें आग लगा दो| और अबी सलोम के मुलाज़िमों ने उस खेत में आग लगा दी |
31तब योआब उठा और अबी सलोम के पास उसके घर जाकर उससे कहने लगा ,तेरे ख़ादिमों ने मेरे खेत में आग क्यों लगा दी ?|
32अबी सलोम ने योआब को जवाब दिया कि,देख मैंने तुझे कहला भेजा कि यहाँ आ ताकि मैं तुझे बादशाह के पास यह कहने को भेजूँ, कि मैं जसूर से यहाँ क्यों आया ? मेरे लिए वहीँ रहना बेहतर होता, सो बादशाह अब मुझे अपना दीदार दे और अगर मुझमें कोई बदी हो तो मुझे मार डाले |
33तब योआब ने बादशाह के पास जाकर उसे यह पैग़ाम दिया और जब उसने अबी सलोम को बुलवाया तब वह बादशाह के पास आया और बादशाह के आगे ज़मीन पर सर नगून हो गया और बादशाह ने अबी सलोम को बोसा दिया