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1हे बाबुल की कुमारी बेटी, उतर आ और धूल पर बैठ; हे कसदियों की बेटी तू बिना सिंहासन भूमि पर बैठ! क्‍योंकि तू अब फिर कोमल और सुकुमार न कहलाएगी।

2चक्‍की लेकर आटा पीस, अपना घूँघट हटा और घाघरा समेंट ले और उघारी टाँगों से नदियों को पार कर।

3तेरी नग्‍नता उघाड़ी जाएगी और तेरी लज्‍जा प्रगट होगी। मैं बदला लूँगा और किसी मनुष्‍य को ग्रहण न करूँगा।

4हमारा छुटकारा देनेवाले का नाम सेनाओं का यहोवा और इस्राएल का पवित्र है।

5हे कसदियों की बेटी, चुपचाप बैठी रह और अन्‍धियारे में जा; क्‍योंकि तू अब राज्य-राज्य की स्वामिनी न कहलाएगी।

6मैंने अपनी प्रजा से क्रोधित होकर अपने निज भाग को अपवित्र ठहराया और तेरे वश में कर दिया; तूने उन पर कुछ दया न की; बूढ़ों पर तूने अपना अत्‍यन्‍त भारी जूआ रख दिया।

7तूने कहा, “मैं सर्वदा स्वामिनी बनी रहूँगी,” इसलिये तूने अपने मन में इन बातों पर विचार न किया और यह भी न सोचा कि उनका क्‍या फल होगा।

8इसलिये सुन, तू जो राग-रंग में उलझी हुई निडर बैठी रहती है और मन में कहती है कि “मैं ही हूँ, और मुझे छोड़ कोई दूसरा नहीं; मैं विधवा के समान न बैठूँगी और न मेरे बाल-बच्चे मिटेंगे।”

9सुन, ये दोनों दु:ख अर्थात् लड़कों का जाता रहना और विधवा हो जाना, अचानक एक ही दिन तुझ पर आ पडेंगे। तेरे बहुत से टोन्हों और तेरे भारी-भारी तन्‍त्र-मन्‍त्रों के रहते भी ये तुझ पर अपने पूरे बल से आ पड़ेंगे।

10तूने अपनी दुष्‍टता पर भरोसा रखा, तूने कहा, “मुझे कोई नहीं देखता;” तेरी बुद्धि और ज्ञान ने तुझे बहकाया और तूने अपने मन में कहा, “मैं ही हूँ और मेरे सिवाय कोई दूसरा नहीं।”

11परन्‍तु तेरी ऐसी दुर्गती होगी जिसका मन्‍त्र तू नहीं जानती, और तुझ पर ऐसी विपत्ति पड़ेगी कि तू प्रायश्‍चित करके उसका निवारण न कर सकेगी; अचानक विनाश तुझ पर आ पड़ेगा जिसका तुझे कुछ भी पता नहीं।

12अपने तन्‍त्र-मन्‍त्र और बहुत से टोन्हों को, जिनका तूने बाल्‍यावस्‍था ही से अभ्‍यास किया है, उपयोग में ला, सम्‍भव है तू उनसे लाभ उठा सके या उनके बल से स्‍थिर रह सके।

13तू तो युक्ति करते-करते थक गई है; अब तेरे ज्‍योतिषी जो नक्षत्रों को ध्‍यान से देखते और नये-नये चाँद को देखकर होनहार बताते हैं, वे खड़े होकर तुझे उन बातों से बचाए जो तुझ पर घटेंगी।

14देख, वे भूसे के समान होकर आग से भस्‍म हो जाएँगे; वे अपने प्राणों को ज्‍वाला से न बचा सकेंगे। वह आग तापने के लिये नहीं, न ऐसी होगी जिसके सामने कोई बैठ सके!

15जिनके लिये तू परिश्रम करती आई है वे सब तेरे लिये वैसे ही होंगे, और जो तेरी युवावस्‍था से तेरे संग व्यापार करते आए हैं, उन मे से प्रत्‍येक अपनी-अपनी दिशा की ओर चले जाएँगे; तेरा बचानेवाला कोई न रहेगा।



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