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1यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुँचा,

2“इस स्‍थान में विवाह करके बेटे-बेटियाँ मत जन्‍मा।

3क्‍योंकि जो बेटे-बेटियाँ इस स्‍थान में उत्‍पन्न हों और जो माताएँ उन्‍हें जनें और जो पिता उन्‍हें इस देश में जन्‍माएँ,

4उनके विषय यहोवा यों कहता है, वे बुरी-बुरी बीमारियों से मरेंगे। उनके लिये कोई छाती न पीटेगा, न उनको मिट्टी देगा; वे भूमि के ऊपर खाद के समान पड़े रहेंगे। वे तलवार और महँगी से मर मिटेंगे, और उनकी लोथें आकाश के पक्षियों और मैदान के पशुओं का आहार होंगी।

5यहोवा ने कहा: जिस घर में रोनापीटना हो उसमें न जाना, न छाती पीटने के लिये कहीं जाना और न इन लोगों के लिये शोक करना; क्‍योंकि यहोवा की यह वाणी है कि मैंने अपनी शान्‍ति और करुणा और दया इन लोगों पर से उठा ली है।

6इस कारण इस देश के छोटे-बड़े सब मरेंगे, न तो इनको मिट्टी दी जाएगी, न लोग छाती पीटेंगे, न अपना शरीर चीरेंगे, और न सिर मुंडाएँगे। इनके लिये कोई शोक करनेवालों को रोटी न बाटेंगे कि शोक में उन्‍हें शान्‍ति दें;

7और न लोग पिता या माता के मरने पर किसी को शान्‍ति के लिये कटोरे में दाखमधु पिलाएँगे।

8तू भोज के घर में इनके साथ खाने-पीने के लिये न जाना।

9क्‍योंकि सेनाओं का यहोवा, इस्राएल का परमेश्‍वर यों कहता है: देख, तुम लोगों के देखते और तुम्‍हारे ही दिनों में मैं ऐसा करूँगा कि इस स्‍थान में न तो हर्ष और न आनन्‍द का शब्‍द सुनाई पड़ेगा, न दुल्‍हे और न दुल्‍हिन का शब्‍द।(प्रका. 18:23)

10“जब तू इन लोगों से ये सब बातें कहे, और वे तुझसे पूछें कि यहोवा ने हमारे ऊपर यह सारी बड़ी विपत्‍ति डालने के लिये क्‍यों कहा है? हमारा अधर्म क्‍या है और हमने अपने परमेश्‍वर यहोवा के विरुद्ध कौन सा पाप किया है?

11तो तू इन लोगों से कहना, ‘यहोवा की यह वाणी है, क्‍योंकि तुम्‍हारे पुरखा मुझे त्‍यागकर दूसरे देवताओं के पीछे चले, और उनकी उपासना करके उनको दण्‍डवत् की, और मुझको त्‍याग दिया और मेरी व्‍यवस्‍था का पालन नहीं किया,

12और जितनी बुराई तुम्‍हारे पुरखाओं ने की थी, उससे भी अधिक तुम करते हो, क्‍योंकि तुम अपने बुरे मन के हठ पर चलते हो और मेरी नहीं सुनते;

13इस कारण मैं तुमको इस देश से उखाड़कर ऐसे देश में फेंक दूँगा, जिसको न तो तुम जानते हो और न तुम्‍हारे पुरखा जानते थे; और वहाँ तुम रात-दिन दूसरे देवताओं की उपासना करते रहोगे, क्‍योंकि वहाँ मैं तुम पर कुछ अनुग्रह न करूँगा’।”

14फिर यहोवा की यह वाणी हुई, “देखो, ऐसे दिन आनेवाले हैं जिनमें फिर यह न कहा जाएगा, ‘यहोवा जो इस्राएलियों को मिस्र देश से छुड़ा ले आया उसके जीवन की सौगन्‍ध,’

15वरन् यह कहा जाएगा, ‘यहोवा जो इस्राएलियों को उत्‍तर के देश से और उन सब देशों से जहाँ उसने उनको बँधुआ कर दिया था छुड़ा ले आया, उसके जीवन की सौगन्‍ध।’ क्‍योंकि मैं उनको उनके निज देश में जो मैंने उनके पूर्वजों को दिया था, लौटा ले आऊँगा।

16“देखो, यहोवा की यह वाणी है कि मै बहुत से मछुओं को बुलवा भेजूँगा कि वे इन लोगों को पकड़ लें, और, फिर मैं बहुत से बहेलियों को बुलवा भेजूँगा कि वे इनको अहेर करके सब पहाड़ों और पहाड़ियों पर से और चट्टानों की दरारों में से निकालें।

17क्‍योंकि उनका पूरा चाल-चलन मेरी आँखों के सामने प्रगट है; वह मेरी दृष्‍टि से छिपा नहीं है, न उनका अधर्म मेरी आखों से गुप्‍त है। इसलिये मैं उनके अधर्म और पाप का दूना दण्‍ड दूँगा,

18क्‍योंकि उन्होंने मेरे देश को अपनी घृणित वस्‍तुओं की लोथों से अशुद्ध किया, और मेरे निज भाग को अपनी अशुद्धता से भर दिया है।”

19हे यहोवा, हे मेरे बल और दृढ़ गढ़, संकट के समय मेरे शरणस्‍थान, जाति-जाति के लोग पृथ्‍वी की चारो ओर से तेरे पास आकर कहेंगे, “निश्‍चय हमारे पुरखा झूठी, व्‍यर्थ और निष्‍फल वस्‍तुओं को अपनाते आए हैं।(रोमि. 1:25)

20क्‍या मनुष्‍य ईश्‍वरों को बनाए? नहीं, वे ईश्‍वर नहीं हो सकते !”

21“इस कारण, इस एक बार, मैं इन लोगों को अपना भुजबल और पराक्रम दिखाऊँगा, और वे जानेंगे कि मेरा नाम यहोवा है।”



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