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1हे परमेश्‍वर, हे मेरे बल, मैं तुझ से प्रेम करता हूँ।

2यहोवा मेरी चट्टान, और मेरा गढ़ और मेरा छुड़ानेवाला है; मेरा ईश्‍वर, मेरी चट्टान है, जिसका मैं शरणागत हूँ, वह मेरी ढ़ाल और मेरी मुक्ति का सींग, और मेरा ऊँचा गढ़ है।(इब्रा 2:13)

3मैं यहोवा को जो स्‍तुति के योग्‍य है पुकारूँगा; इस प्रकार मैं अपने शत्रुओं से बचाया जाऊँगा।

4मृत्‍यु की रस्‍सियों से मैं चारो ओर से घिर गया हूँ, और अधर्म की बाढ़ ने मुझ को भयभीत कर दिया;(भजन 116:3)

5पाताल की रस्सियाँ मेरे चारो ओर थीं, और मृत्‍यु के फन्‍दे मुझ पर आए थे।

6अपने संकट में मैं ने यहोवा परमेश्‍वर को पुकारा; मैं ने अपने परमेश्‍वर की दोहाई दी। और उसने अपने मन्‍दिर में से मेरी बातें सुनी। और मेरी दोहाई उसके पास पहुँचकर उसके कानों में पड़ी।

7तब पृथ्‍वी हिल गई, और काँप उठी और पहाड़ों की नींव कंपित होकर हिल गई क्‍योंकि वह अति क्रोधित हुआ था।

8उसके नथनों से धुआँ निकला, और उसके मुँह से आग निकलकर भस्‍म करने लगी; जिस से कोएले दहक उठे।

9और वह स्‍वर्ग को नीचे झुकाकर उतर आया; और उसके पाँवों तले घोर अन्‍धकार था।

10और वह करूब पर सवार होकर उड़ा, वरन् पवन के पँखों पर सवारी करके वेग से उड़ा।

11उसने अन्‍धियारे को अपने छिपने का स्‍थान और अपने चारों ओर मेघों के अन्‍धकार और आकाश की काली घटाओं का मण्‍डप बनाया।

12उसकी उपस्‍थिति की झलक से उसकी काली घटाएँ फट गई; ओले और अँगारे भी।

13तब यहोवा आकाश में गरजा, और परमप्रधान ने अपनी वाणी सुनाई, ओले ओर अँगारे।

14उसने अपने तीर चला-चलाकर उनको तितर-बितर किया; वरन् बिजलियाँ गिरा-गिराकर उनको परास्‍त किया।

15तब जल के नाले देख पड़े, और जगत की नींव प्रगट हुई, यह तो यहोवा तेरी डाँट से, और तेरे नथनों की साँस की झोंक से हुआ।

16उसने ऊपर से हाथ बढ़ाकर मुझे थाम लिया, और गहरे जल में से खींच लिया।

17उसने मेरे बलवन्‍त शत्रु से, और उनसे जो मुझ से घृणा करते थे मुझे छुड़ाया; क्‍योंकि वे अधिक सामर्थी थे।

18मेरी विपत्ति के दिन वे मुझ पर आ पड़े। परन्‍तु यहोवा मेरा आश्रय था।

19और उसने मुझे निकालकर चौड़े स्‍थान में पहुँचाया, उसने मुझ को छुड़ाया, क्‍योंकि वह मुझ से प्रसन्न था।

20यहोवा ने मुझ से मेरे धर्म के अनुसार व्‍यवहार किया; और मेरे हाथों की शुद्धता के अनुसार उसने मुझे बदला दिया।

21क्‍योंकि मैं यहोवा के मार्गों पर चलता रहा, और दुष्‍टता के कारण अपने परमेश्‍वर से दूर न हुआ।

22क्‍योंकि उसके सारे निर्णय मेरे सम्‍मुख बने रहे और मैं ने उसकी विधियों को न त्‍यागा।

23और मैं उसके सम्‍मुख सिद्ध बना रहा, और अधर्म से अपने को बचाए रहा।

24यहोवा ने मुझे मेरे धर्म के अनुसार बदला दिया, और मेरे हाथों की उस शुद्धता के अनुसार जिसे वह देखता था।

25दयावन्‍त के साथ तू अपने को दयावन्‍त दिखाता; और खरे पुरूष के साथ तू अपने को खरा दिखाता है।

26शुद्ध के साथ तू अपने को शुद्ध दिखाता, और टेढ़े के साथ तू तिर्छा बनता है।

27क्‍योंकि तू दीन लोगों को तो बचाता है; परन्‍तु घमण्‍ड भरी आँखों को नीची करता है।

28हाँ, तू ही मेरे दीपक को जलाता है; मेरा परमेश्‍वर यहोवा मेरे अन्‍धियारे को उजियाला कर देता है।

29क्‍योंकि तेरी सहायता से मैं सेना पर धावा करता हूँ; और अपने परमेश्‍वर की सहायता से शहरपनाह को लाँघ जाता हूँ।

30ईश्‍वर का मार्ग सच्‍चाई; यहोवा का वचन ताया हुआ है; वह अपने सब शरणागतों की ढाल है।

31यहोवा को छोड़ क्‍या कोई ईश्‍वर है? हमारे परमेश्‍वर को छोड़ क्‍या और कोई चट्टान है?

32यह वही ईश्‍वर है, जो सामर्थ्य से मेरा कटिबन्‍ध बाँधता है, और मेरे मार्ग को सिद्ध करता है।

33वही मेरे पैरों को हरिणियों के पैरों के समान बनाता है, और मुझे मेरे ऊँचे स्‍थानों पर खड़ा करता है।

34वह मेरे हाथों को युद्ध करना सिखाता है, इसलिये मेरी बाहों से पीतल का धनुष झुक जाता है।

35तू ने मुझ को अपने बचाव की ढाल दी है, तू अपने दाहिने हाथ से मुझे सम्‍भाले हुए है, और तेरी नम्रता ने महत्‍व दिया है।

36तू ने मेरे पैरों के लिये स्‍थान चौड़ा कर दिया, और मेरे पैर नहीं फिसले।

37मैं अपने शत्रुओं का पीछा करके उन्‍हें पकड़ लूँगा; और जब तब उनका अन्‍त न करूँ तब तक न लौटूँगा।

38मैं उन्‍हें ऐसा बेधूँगा कि वे उठ न सकेंगे; वे मेरे पाँवों के नीचे गिर पड़ेंगे।

39क्‍योंकि तू ने युद्ध के लिये मेरी कमर में शक्ति का पटुका बाँधा है; और मेरे विरोधियों को मेरे सम्‍मुख नीचा कर दिया।

40तू ने मेरे शत्रुओं की पीठ मेरी ओर फेर दी, ताकि मैं उनको काट डालूँ जो मुझ से द्वेष रखते हैं।

41उन्होंने दोहाई तो दी परन्‍तु उन्‍हें कोई भी बचानेवाला न मिला, उन्होंने यहोवा की भी दोहाई दी, परन्‍तु उसने भी उनको उत्तर न दिया।

42तब मैं ने उनको कूट-कूटकर पवन से उड़ाई हुई धूलि के समान कर दिया; मैं ने उनको गली कूचों की कीचड़ के समान निकाल फेंका।

43तू ने मुझे प्रजा के झगड़ों से भी छुड़ाया; तू ने मुझे अन्‍यजातियों का प्रधान बनाया है; जिन लोगों को मैं जानता भी न था वे मेरे अधीन हो गये।

44मेरा नाम सुनते ही वे मेरी आज्ञा का पालन करेंगे; परदेशी मेरे वश में हो जाएँगे।

45परदेशी मुर्झा जाएँगे, और अपने किलों में से थरथराते हुए निकलेंगे।

46यहोवा परमेश्‍वर जीवित है; मेरी चट्टान धन्‍य है; और मेरे मुक्तिदाता परमेश्‍वर की बड़ाई हो।

47धन्‍य है मेरा पलटा लेनेवाला ईश्‍वर! जिसने देश-देश के लोगों को मेरे वश में कर दिया है;

48और मुझे मेरे शत्रुओं से छुड़ाया है; तू मुझ को मेरे विरोधियों से ऊँचा करता, और उपद्रवी पुरूष से बचाता है।

49इस कारण मैं जाति-जाति के सामने तेरा धन्‍यवाद करूँगा, और तेरे नाम का भजन गाऊँगा।

50वह अपने ठहराए हुए राजा का बड़ा उद्धार करता है, वह अपने अभिषिक्‍त दाऊद पर और उसके वंश पर युगानुयुग करूणा करता रहेगा।



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