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1“अब हे याजको, यह आज्ञा तुम्‍हारे लिये है।

2यदि तुम इसे न सुनो, और मन लगाकर मेरे नाम का आदर न करो, तो सेनाओं का यहोवा यों कहता है कि मैं तुम को शाप दूँगा, और जो वस्तुएँ मेरी आशीष से तुम्‍हें मिलीं हैं, उन पर मेरा शाप पड़ेगा, वरन तुम जो मन नहीं लगाते हो इस कारण मेरा शाप उन पर पड़ चुका है।

3देखो, मैं तुम्‍हारे कारण बीज को झिड़कूंगा,** और तुम्‍हारे मुंह पर तुम्‍हारे पर्वों के यज्ञपशुओं का मल फैलाऊंगा, और उसके संग तुम भी उठाकर फेंक दिए जाओगे।

4तब तुम जानोगे कि मैं ने तुम को यह आज्ञा इसलिये दिलाई है कि लेवी के साथ मेरी बन्‍धी हुई वाचा बनी रहे; सेनाओं के यहोवा का यही वचन है।

5मेरी जो वाचा उसके साथ बन्‍धी थी वह जीवन और शान्‍ति की थी, और मैं ने यह इसलिये उसको दिया कि वह भय मानता रहे; और उस ने मेरा भय मान भी लिया और मेरे नाम से अत्‍यन्‍त भय खाता था।

6उसको मेरी सच्‍ची व्‍यवस्‍था कण्‍ठ थी, और उसके मुंह से कुटिल बात न निकलती थी। वह शान्‍ति और सीधाई से मेरे संग संग चलता था, और बहुतों को अधर्म से लौटा ले आया था।

7क्‍योंकि याजक को चाहिये कि वह अपने ओठों से ज्ञान की रक्षा करे, और लोग उसके मुंह से व्‍यवस्‍था पूछें, क्‍योंकि वह सेनाओं के यहोवा का दूत है।

8परन्‍तु तुम लोग धर्म के मार्ग से ही हट गए; तुम बहुतों के लिये व्‍यवस्‍था के विषय में ठोकर का कारण हुए; तुम ने लेवी की वाचा को तोड़ दिया है, सेनाओं के यहोवा का यही वचन है। (मत्ती. 23:3)

9इसलिये मैं ने भी तुम को सब लोगों के साम्‍हने तुच्‍छ और नीचा कर दिया है, क्‍योंकि तुम मेरे मार्गो पर नहीं चलते, वरन व्‍यवस्‍था देने में मुंह देखा विचार करते हो।।

10क्‍या हम सभों का एक ही पिता नहीं? क्‍या एक ही परमेश्‍वर ने हम को उत्‍पन्न नहीं किया? हम क्‍यों एक दूसरे का विश्‍वासघात करके अपने पूर्वजों की वाचा को तोड़ देते हैं? (1 कुरि 8:6)

11यहूदा ने विश्‍वासघात किया है, और इस्राएल में और यरूशलेम में घृणित काम किया गया है; क्‍योंकि यहूदा ने बिराने देवता की कन्‍या से विवाह करके यहोवा के पवित्र स्‍थान को जो उसका प्रिय है, अपवित्र किया है।

12जो पुरूष ऐसा काम करे, उसके तम्‍बुओं में से याकूब का परमेश्‍वर उसके घर के रक्षक और सेनाओं के यहोवा की भेंट चढ़ानेवाले को यहूदा से काट डालेगा!

13फिर तुम ने यह दूसरा काम किया है कि तुम ने यहोवा की वेदी को रोनेवालों और आहें भरनेवालों के आँसुओं से भिगो दिया है, यहां तक कि वह तुम्‍हारी भेंट की ओर दृष्‍टि तक नहीं करता, और न प्रसन्न होकर उसको तुम्‍हारे हाथ से ग्रहण करता है। तुम पूछते हो, ऐसा क्‍यों?

14इसलिये, क्‍योंकि यहोवा तेरे और तेरी उस जवानी की संगिनी और ब्‍याही हुई स्‍त्री के बीच साक्षी हुआ था जिस का तू ने विश्‍वासघात किया है।

15क्‍या उस ने एक ही को नहीं बनाया जब कि और आत्‍माएँ उसके पास थीं?** और एक ही को क्‍यों बनाया? इसलिये कि वह परमेश्‍वर के योग्‍य सन्‍तान चाहता है। इसलिये तुम अपनी आत्‍मा के विषय में चौकस रहो, और तुम में से कोई अपनी जवानी की स्‍त्री से विश्‍वासघात न करे।

16क्‍योंकि इस्राएल का परमेश्‍वर यहोवा यह कहता है, कि मैं स्‍त्री-त्‍याग से घृणा करता हूँ, और उस से भी जो अपने वस्‍त्र को उपद्रव से ढांपता है। इसलिये तुम अपनी आत्‍मा के विषय में चौकस रहो और विश्‍वासघात मत करो, सेनाओं के यहोवा का यही वचन है।।

17तुम लोगों ने अपनी बातों से यहोवा को उकता दिया है। तौभी पूछते हो, कि हम ने किस बात में उसे उकता दिया? इस में, कि तुम कहते हो कि जो कोई बुरा करता है, वह यहोवा की दृष्‍टि में अच्‍छा लगता है, और वह ऐसे लोगों से प्रसन्न रहता है, और यह, कि न्‍यायी परमेश्‍वर कहाँ है?



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